श्री शनि चालीसा एक प्रमुख हिंदू प्रार्थना है जो भगवान शनि की महिमा और भक्तों के प्रति उनके दयालु रूप की कृपा का वर्णन करती है। यह चालीसा उन व्यक्तियों के लिए एक मार्गदर्शक है जो अपने जीवन में अस्थिरता और कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, और उन्हें शनि देव की कृपा और आशीर्वाद की आवश्यकता है। यह चालीसा भक्तों को सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक समस्याओं का सामना करने में साहस और सहायता प्रदान करती है।
श्री शनि चालीसा के लाभ:
1. **संतुष्टि का स्रोत:** श्री शनि चालीसा का पाठ करने से भक्तों को भगवान शनि के प्रति संतुष्टि मिलती है और उनके दुख और कष्ट दूर होते हैं।
2. **दुख से मुक्ति:** यह चालीसा उन लोगों के लिए उपयोगी है जो दुख, संघर्ष और प्रतिकूलताओं का सामना कर रहे हैं। शनि देव की कृपा से उनका जीवन बेहतर होता है।
3. **धार्मिक एवं आध्यात्मिक उत्थान:** श्री शनि चालीसा का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक एवं धार्मिक उत्थान प्राप्त होता है, तथा उन्हें भगवान की शरण में आनंद एवं शांति मिलती है।
Shri Shani Chalisa का पाठ करने से भक्तों के जीवन में समृद्धि, सुख एवं खुशहाली आती है। यह प्रार्थना उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है।
श्री शनिदेव चालीसा
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥चालीसा॥
जय शनि देवा, मन्द मंदिर सुहावन।
काहे दुःख भए सब दिन, हमारी कहां सुख पावन॥
पंचम शनि राजा, कृपा करो महाराजा।
किया करे न कोई, सद्गुरु बिन आधार नाजा॥१॥
जय जय शनि देव, करो कल्याण महाराज।
शत्रु कष्ट निवारिये, शत्रु भयहारी दिनेश विघ्नहारी॥२॥
जय जय शनि देव, करो दयालु शिव राजा।
आपकी कृपा से सब काजा, होत निर्विघ्न कारजा॥३॥
जय जय शनि देव, करो कृपा महाराजा।
क्षण ही में लगातार, बढ़त जाए जिनका काजा॥४॥
जय जय शनि देव, जन के काज सवार।
करण श्रद्धा जल धरे, शनि देव की यारी॥५॥
जय जय शनि देव, करे सातों शनि वार।
उनकी शरण में आए, शनि मिटे बिगाड़ कारण॥६॥
जय जय शनि देव, करे सेवक सुख भारी।
काज करे शनि जी की, भले आपकी धारी॥७॥
॥दोहा॥
जो सुंदर की धारा है, मंद मानस वारी।
शनि लेसन की बड़ैया, कृपा करो महाराज॥८॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥